मुख्यमंत्री ने प्रधान मंत्री आवास योजना की तर्ज पर मुख्यमंत्री आवास योजना का 05 जनुअरी 2015 को शुभारम्भ किया। इस योजना के तहत राज्य में निवास करने वाले सभी गरीबों को घर आवंटित किये जायेंगे। सरकार ने हाउसिंग बोर्ड के जरिये एक कॉलोनी कर निर्माण करवा रही हैं जिसमे वो हजारों फ्लैटों के निर्माण करवाएगी। इन फ्लैटों का आकर 2 BHK हैं जिसमे 2 रूम, 1 रसोईघर और 1 लेट/ बाथ हैं। ये सभी घर आधुनिक श्रेणी के अंतर्गत बनाये जायेंगे। मकानों का निर्माण आधुनिक सुविधायुक्त तथा सभी आवश्यक सुविधा रोड़, लाईट, सीवरेज, गार्डन सहित बनाए जा रहे हैं।
इस योजना के जरिये राज्य के उन सभी लोगो के लिए घर बनाये जायेंगे जिनके पास रहने को पक्का माकन नहीं हैं:
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के लाभ:
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के पात्रता:
मुख्यमंत्री जन आवास योजना के लिए जरूरी दस्तावेज:
हमारे देश में ज्यादातर लोगों का बैंक अकाउंट आज भी नहीं है। परन्तु प्रधानमंत्री कई नए schemes के कारण आज भारत में करोड़ों लोगों ने अपने बैंक अकाउंट खुलवाए हैं और बहुत कुछ नया भी किया है जिससे की देश का विकास हो।
लोगों को बैंक अकाउंट का फायदा समझाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने 8 अप्रैल 2015 को Mudra Bank Loan Yojna की शुरुवात किया जिसके अंतर्गत लोगों को अन्य-अन्य बैंकों स्वर लोन दिया जाता है। मुद्रा लोन योजना को PM Jan Dhan Yojna के सफल होने के बाद शुरू किया गया।
MUDRA का मतलब होता है Micro Units Development and Refinance Agency. यानि की ऐसे छोटे व्यापारी जिन्हें लोन की आवश्यकता है उन्हें बैंक द्वारा लोन दिलवाती है।
इस स्कीम के अंतर्गत 50000 रुपए से 10 लाख रुपए तक छोटे व्यापारियों को लोन मिल सकता है। इस Scheme में 3 Stages हैं जिसमें शिशु (50000रु), किशोर (500000रु) तथा तरुण (1000000रु) के अंतर्गत पैसे लोन में दिए जाते हैं।
Year 2016-17 तक कुल PMMY Loans Sanctioned (लोन स्वीकृति)- 39701047 किया गया था जिसमें से 180528.54 करोड़ रुपए स्वीकृतकिय किये गए थे और 175312.13 करोड़ रुपए संवितरित किये गए थे।
1. शिशु (SHISHU) – ज्यादा से ज्यादा 50000 रुपए का लोन
शिशु स्टेज के अनुसार लोन उन लोगों को मिलता है जो अपना व्यापार पहले छोटे स्तर पर शुरू कर रहे है। इसमें उद्यमी को ज्यादा से ज्यादा 50,000 रुपए का लोन दिया जाता है।
2. किशोर (KISHOR) – ज्यादा से ज्यादा 5 लाख रुपए का लोन
यह उन उद्यमियों के लिए है जिनको अपने व्यापार के लिए 50000 – 5 लाख रुपए तक कि जरूरत होती है। यह वोलोग होते हैं जो अपने व्यापार को शुरू कर चुके होते हैं और उन्हें थोड़े और पैसों की जरूरत होती है अपने व्यापर को आगे ले जाने के लिए।
3. तरुण (TARUN) – ज्यादा से ज्यादा 10 लाख रुपए का लोन
इसमें उन्हीं लोगों को लोन दिया जाता है जिनको ज्यादा रुपए यानि कि 5 लाख से 10 लाख के लोन कि आवश्यकता होती है। यह लोन पात्रता मापदंड (Eligibility Criteria) को देख कर ही दिया जाता है।
सर्वव्यापी स्वच्छता के कवरेज के प्रयासों में तेजी लाने के लिए और स्वच्छता पर बल देने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दिनांक 2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरूआत की थी। दो उप मिशन स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) के लिए मिशन समन्वयकर्त्ता पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय (एमडीडब्ल्यूएस) के सचिव हैं। मिशन का उद्देश्य महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगाँठ को सही रूप में श्रद्धांजलि देते हुए वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत की प्राप्ति करना है।
विजन
स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का उद्देश्य दिनांक 02 अक्टूबर, 2019 तक स्वच्छ एवं खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) भारत की प्राप्ति करना।
उद्देश्य
कार्यनीति
कार्यनीति पर बल देने का तात्पर्य राज्य सरकारों को स्वच्छ भारत के कार्यान्वयन में लचीलापन प्रदान करना है। चूँकि स्वच्छता राज्य का विषय है इसलिए राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ भारत मिशन की कार्यान्वयन नीति तथा तंत्रों और निधियों के उपयोग पर निर्णय लेना आवश्यक है। इसमें देश के लिए इसकी आवश्यकताओं को समझते हुए मिशन को पूरा करने के लिए संकेन्द्रित कार्यक्रम के जरिए राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरा करने में भारत सरकार की अहम भूमिका है।
कार्य नीति के मुख्य तत्व निम्नलिखित हैं
व्यवहारगत परिवर्तन पर बल
स्वच्छ भारत के जमीनी सैनिक
स्वच्छाग्राही : ग्राम पंचायत स्तर पर समर्पित, प्रशिक्षित और उचित रूप से प्रोत्साहन प्राप्त स्वच्छता कार्य बल की आवश्यकता है। ‘जमीनी सैनिकों’अथवा ‘स्वच्छाग्राहियों’ जिन्हें पहले ‘स्वच्छता दूत’ कहा जाता था, की एक सेना तैयार की गई है और उन्हें वर्तमान व्यवस्थाओं जैसे पंचायती राज संस्थाओं, कॉपरेटिव्स, आशा, आंगनवाड़ी कार्यकताओं, महिला समूहों, समुदाय आधारित संगठनों, स्वयं सहायता समूहों, वॉटर लाइनमैन/पंप ऑपरेटरों के आदि के माध्यम से नियोजित किया गया है जो पहले से ग्राम पंचायतों में कार्य कर रहे थे अथवा विशेष रूप से इस प्रयोजनार्थ स्वच्छाग्राहियों के रूप में नियोजित किए गए थे। यदि संबद्ध विभागों में वर्तमान कार्मिकों का उपयोग किया जाता है तो उनके मूल संबद्ध विभाग, स्वच्छ भारत मिशन के तहत गतिविधियों को शामिल करने के लिए इनकी भूमिकाओं के विस्तार की स्पष्ट व्यवस्था करें।
स्वच्छता प्रौद्योगिकियां
परिवार और समुदाय दोनों स्तरों पर स्वामित्व और स्थायी उपयोग को प्रोत्साहन देने के लिए शौचालयों की संस्थापना में वित्तीय अथवा अन्य रूप से लाभार्थी/समुदायों की पर्याप्त भागीदारी की सलाह दी गई है। बहुत से विकल्पों की सूची में निर्माण संबंधी दी गई छूट यह है कि गरीबों और लाभ न प्राप्त करने वाले परिवारों को उनकी आवश्यकताओं और वित्तीय स्थिति पर निर्भर करते हुए उन्हें अपने शौचालयों की स्थिति को निरन्तर रूप से बेहतर बनाने के लिए अवसर दिए जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए कि स्वच्छ शौचालयों का निर्माण किया जाए जिसमें सुरक्षित कंफाइनमेंट मल का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित हो। उपयोगकर्त्ता की पसन्द और स्थान-विशिष्ट जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी विकल्पों तथा उन पर लगने वाली लागत की विस्तृत सूची उपलब्ध कराई गई है। जैसे-जैसे नई प्रौद्योगिकियां सामने आती हैं इस सूची को निरन्तर अद्यतन किया जाता है और प्रौद्योगिकियों से जुड़े विकल्प उपलब्ध कराते हुए लाभार्थियों को सूचित किया जाता है।
‘ओडीएफ’ को भारत सरकार द्वारा परिभाषित किया गया है और इसके लिए संकेतक बनाए गए हैं। इन संकेतकों के अनुरूप गांवों का सत्यापन करने के लिए विश्वसनीय प्रक्रिया लाने के लिए एक प्रभावशाली सत्यापन पद्यति बहुत आवश्यक है। चूंकि स्वच्छता राज्य का विषय है और राज्य ही कार्यक्रम के कार्यान्वयन में मुख्य निकाय हैं, अतः ओडीएफ सत्यापन के लिए राज्य स्वयं एक बेहतर पद्धति तैयार कर सकते हैं। केन्द्र की भूमिका, विभिन्न राज्यों द्वारा अपनाई गई प्रक्रियाओं को आपस में साझा करना है और राज्यों द्वारा ओडीएफ घोषित ग्राम पंचायतों/गांवों के एक छोटे प्रतिशत का मूल्यांकन करने के लिए पद्यति विकसित करना है और फिर आगे केन्द्र/राज्य के अवमूल्यन में भारी अंतर होने पर राज्यों को सहायता देना और मार्गदर्शन करना है।
ओडीएफ की स्थिति प्राप्त करने में काफी हद तक व्यवहारगत परिवर्तन पर कार्य करना शामिल है, इसे बनाए रखने के लिए समुदाय द्वारा समन्वित प्रयास किए जाने की जरूरत है। बहुत से जिले और राज्यों ने ओडीएफ की निरन्तरता को बनाए रखने के लिए पैरामीटर विकसित किए हैं।
स्वच्छता : सब का कार्य
एमडीडब्ल्यूएस जिसे एसबीएम -ग्रामीण का प्रभार आबंटित किया गया है, इसके अलावा स्वच्छ भारत की प्राप्ति के लिए यह सभी गतिविधियों और पहलों के लिए नोडल मंत्रालय भी है। इस जिम्मेदारी को पूरा करने में यह मंत्रालय भारत सरकार के सभी अन्य मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय संस्थानों, गैर सरकारी और अर्ध सरकारी एजेंसियों, कॉरपोरेटों, एनजीओ, धार्मिक संगठनों, मीडिया तथा शेष हिस्सेदारों के साथ मिलकर निरंतर कार्य कर रहा है। यह दृष्टिकोण प्रधानमंत्री के आह्वाहन पर आधारित है जिसमें स्वच्छता, मात्र स्वच्छता विभाग का कार्य न रहकर सभी का कार्य है। इस प्रक्रिया में कई विशेष पहलें और परियोजनाएं तेजी से सामने आई हैं। उन संगठनों की स्वच्छता में भागीदारी ,जिनका मुख्य कार्य स्वच्छता नहीं है, से स्वच्छ भारत के इस आह्वान को अत्यधिक प्रेरणा मिली है।
इन महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा जा सकता है
अंतर मंत्रालयी समन्वय (आईएमसी)
पृष्ठभूमि/उद्देश्य
हमारे देश में रसोई गैस की उपलब्धता पारंपरिक रूप से शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों तक ही सीमित थी। धीरे-धीरे यह छोटे शहरों/कस्बों में मध्यम वर्ग की आबादी तक पहुंच गई। किंतु, गरीबों को रसोई गैस उपलब्ध नहीं है। खासतौर से ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय महिलाओं को खाना बनाने के दौरान प्रदूषणकारी ईंधनों का उपयोग करने के चलते धु्एं के अभिशाप को झेलना पड़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार रसोई में खुली आग का होना एक घंटे में 400 सिगरेटें जलाने के बराबर है।
महिलाओं के सामने आ रही इस समस्या का समाधान रसोई ईंधन के रूप में एलपीजी का व्यापक तौर पर उपयोग है। बीपीएल परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने से देश में रसोई गैस की समग्र उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इस उपाय से महिलाएं सशक्त होंगी और इससे उनके स्वास्थ्य की रक्षा होगी। इससे खाना बनाने के कार्य में होने वाली नीरसता और इसमें लगने वाले समय में कमी आएगी। इससे ग्रामीण युवाओं को रसोई गैस की आपूर्ति के कार्य में रोजगार भी मिलेगा।
देश में गरीब परिवारों को स्वच्छ रसोई ईंधन उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) परिवारों की महिलाओं को बगैर जमानत राशि के नए एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध करवाने के लिए प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) शुरू की है। माननीय प्रधान मंत्री जी ने दिनांक 01 मई, 2016 को बलिया, उत्तर प्रदेश में यह योजना शुरू की थी।
लाभ
स्वास्थ्य - रसोई ईंधन के रूप में एलपीजी के प्रावधान से ईंधन की लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले जैसे रसोई ईंधनों के पारंपरिक स्रोतों का उपयोग करने से होने वाली स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं (जैसे श्वसन संबंधी तथा नेत्र रोग) को दूर करने में मदद मिलती है।
अर्थव्यवस्था – इससे महिलाओं की आर्थिक उत्पादकता बढ़ेगी, ईंधन की लकडि़यां इकट्ठा करने के कार्य से जुड़ी नीरसता को दूर करके उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा और उन्हें समय पर रसोई ईंधन उपलब्ध नहीं होने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पर्यावरण - वनों की कटाई में कमी और गाय का अमूल्य गोबर रसोई ईंधन में उपयोग किए जाने के स्थान पर कृषि संबंधी प्रयोजनों के लिए उपलब्ध होगा। जिससे कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आएगी।
कार्यान्वयन
प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) को वितरकों और 3 तेल विपणन कंपनियों (ओएमसीज), नामत: इंडियन ऑयल कार्पोरेशन लि. (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कार्पोरेशन लि. (एचपीसीएल) के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है। सभी पणधारकों के बीच समन्वय करने तथा योजना को सुचारू रूप से कार्यान्वित करने के लिए ओएमसीज में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाले जिला नोडल अधिकारी को नामांकित किया जाता है।
लाभार्थियों की पहचान
योजना के अनुसार पात्र बीपीएल परिवार लाभार्थी की पहचान प्रारंभ में सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के उपलब्ध आंकड़ों के जरिए की गई थी। 8000 करोड़ रुपए के आबंटन के साथ प्रारंभिक लक्ष्य 5 करोड़ निर्धारित किया गया था। सरकार ने हाल ही में लक्ष्य को 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ कर दिया है। बढ़े हुए लक्ष्य को हासिल करने के लिए सरकार ने लाभार्थियों की पहचान हेतु एसईसीसी सूची के अलावा निम्नलिखित श्रेणियों को शामिल किया है :-
सभी अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिवार।
पीएमएवाई (ग्रामीण) के लाभार्थी।
अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई)।
वनवासी।
अति पिछड़े वर्ग (एमबीसी)।
चाय बागान और पूर्व चाय बागान जनजातियां।
द्वीपों/नदी द्वीपों में रह रहे व्यक्ति।
निबंधन और शर्तें
पीएमयूवाई के तहत वयस्क महिलाओं के नाम पर एलपीजी कनेक्शन जारी किए जाते हैं बशर्तें परिवार की किसी महिला सदस्य के नाम पर कोई एलपीजी कनेक्शन पहले से नहीं हो।
नकद सहायता
इस योजना के तहत सरकार बीपीएल परिवारों की महिला सदस्य को बगैर जमानत राशि के एलपीजी कनेक्शन उपलब्ध करवाती है जिसमें सिलिंडर और प्रेशर रेग्यूलेटर के संबंध में जमानत राशि, डीजीसीसी कार्ड, सुरक्षा होज और प्रशासनिक/कनेक्शन लगाने से संबंधित प्रभार शामिल है और सरकार 14.2 कि.ग्रा. और 5 कि.ग्रा. सिलिंडर के नए कनेक्शन के लिए 1600 रुपए तक का व्यय वहन कर रही है। लाभार्थी चूल्हे और पहले सिलिंडर की खरीद की लागत वहन करता है। लाभार्थी के पास यह विकल्प है कि वह चूल्हा अथवा पहला सिलिंडर अथवा दोनों ही ओएमसीज से शून्य ब्याज दर पर ऋण आधार पर ले सकता है जिसकी वसूली लाभार्थी को प्राप्त होने वाली राजसहायता से की जाती है। ऋण की वसूली शुरू के 6 सिलिंडरों की राजसहायता से नहीं की जाती है।
कनेक्शन का वितरण
डिस्ट्रीब्यूटर संभाव्य लाभार्थियों तक पहुंच बनाते हुए विशेष नामांकन अभियान का आयोजन करते रहे हैं । संभाव्य ग्राहक भी नजदीकी एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर के पास जा सकते हैं और आवश्यक दस्तावेज, केवाईसी फार्म आदि के साथ-साथ निर्धारित प्रपत्र प्रस्तुत कर सकते हैं। संभाव्य लाभार्थी के एएचएल-टिन, आधार नंबर और बैंक खाते का उपयोग करके डी-डुप्लीकेशन की कार्रवाई की जाती है।
ओएमसीज ने सभी 676 जिलों के लिए 3 ओएमसीज में से एक ओएमसी से जिला नोडल अधिकारियों (डीएनओ) को नियुक्त किया है। डीएनओज के सहयोग से स्थानीय स्तर पर कैंपों का आयोजन किया जाता है जिसमें पीएमयूवाई के तहत जन समारोह के रूप में एलपीजी कनेक्शनों का वितरण किया जाता है।
प्रमुख उपलब्धि
इस योजना से 3.57 करोड़ से अधिक बीपीएल परिवार लाभान्वित हुए हैं और एलपीजी कवरेज, जो दिनांक 01.04.2016 की स्थिति के अनुसार 61.9% थी, 80% से अधिक हो गई है। लाभान्वित लाभार्थियों में 44% लाभार्थी (1.57 करोड़) एससी/एसटी श्रेणियों के हैं। राज्य/यूटी-वार ब्यौरे अनुलग्नक में दिए गए हैं।
इस योजना में 3 करोड़ के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में 3.51 करोड़ कनेक्शन जारी करने के साथ ही वित्त वर्ष 2016-17 में और 2017-18 में इसके लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया और इससे अधिक उपलब्धि हासिल हुई है।
इससे सिलिंडरों, होज पाइप, रेगुलेटरों, स्टोव आदि की आपूर्ति में संलग्न एमएसएमई विनिर्माण इकाइयों को बहुत बढ़ावा मिला है। इस योजना को उद्देश्य सामाजिक बदलाव के स्रोत और महिला सशक्तिकरण के एक कारक के तौर पर देखा गया है।
फीड बैक
ओएमसीज द्वारा पीएमयूवाई ग्राहकों के लिए एक विशेष वेबसाइट नामत: www.pmujjwalalyojna.com तैयार की गई है। पीएमयूवाई ग्राहकों के लिए जून, 2016 से एक विशेष टोल फ्री नंबर 18002666696 कार्य कर रहा है। पीएमयूवाई ग्राहक अपने प्रश्नों और शिकायतों को भेज सकते हैं अथवा अपना फीडबैक दे सकते
महिलाएं बनीं परिवार की मुखिया
राजस्थान सरकार ने महिला सशक्तिकरण और सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे और पारदर्शी तरीके से पहुंचाने के लिए 15 अगस्त 2014 से भामाशाह योजना की शुरूआत की। योजना में महिला को परिवार की मुखिया बनाकर परिवार के बैंक खाते उनके नाम पर खोले गये हैं। परिवार को मिलने वाले सभी सरकारी नकद लाभ सरकार सीधा इसी खाते में दे रही है। राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां यह हुआ है।
राशि सीधा बैंक खाते में पहुंचाने की व्यवस्था
भामाशाह में नामांकन के समय परिवार व उसके सभी सदस्यों की पूरी जानकारी भामाशाह से जोड़ी जाती है। वे सभी सरकारी योजनाएं जिनका परिवार का कोई भी सदस्य हकदार है, उनकी जानकारी (जैसे- पेंशन नम्बर, नरेगा जॉब कार्ड नम्बर आदि) भी भामाशाह से जोड़ दी जाती है। लाभार्थियों का बैंक खाता भी भामाशाह से जोड़ा जाता है, जिससे सरकारी योजनाओं का लाभ (पेंशन, नरेगा, छात्रवृत्ति, जननी सुरक्षा आदि) तय तिथि पर सीधे उनके बैंक खातों में पहुंचा दिया जाता है।
घर के पास पैसे निकालने की व्यवस्था
इन पैसों को निकलवाने के लिए लाभार्थियों को रुपे कार्ड की सुविधा भी दी जाती है। लाभार्थी इस रुपे कार्ड का नज़दीकी बी.सी. केन्द्र में प्रयोग कर आसानी से ये पैसे निकाल सकते हैं। बैंक व एटीएम की सीमित संख्या होने की वजह से राज्य सरकार द्वारा पूरे प्रदेश में 35,000 बी.सी. स्थापित किए जा चुके हैं।
लाभार्थी को लेन-देन की सूचना की व्यवस्था
लाभार्थी के खाते में पैसे आने व पैसे निकलवाने संबंधी हर लेन-देन की सूचना उसे अपने मोबाइल पर SMS से मिल जाती है। इसके अतिरिक्त वर्ष में 2 बार भामाशाह द्वारा वितरित लाभों का सामाजिक ऑडिट किया जाता है। लाभार्थी स्वयं द्वारा लिए गए लाभों का विवरण भी सूचना का अधिकार एवं भामाशाह मोबाइल ऐप के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।
भ्रष्टाचार और परेशानी से मिला छुटकारा
लाभार्थी का समय पर उपलब्ध न मिलना, कैश लाभ लाभार्थी तक नहीं पहुंचाना, किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा साइन करके लाभ लेना आदि कारणों से सरकारी योजनाओं के लाभ जैसे-पेंशन, छात्रवृत्ति, नरेगा राशि इत्यादि पात्र व्यक्तियों को नहीं मिल पाते थे, जिससे उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
भामाशाह योजना से सरकारी योजनाओं का पूरा नकद लाभ बिना देरी और बिना परेशानी के सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाया जा रहा है। इसके साथ ही गैर नकद लाभ जैसे-राशन वितरण भी अब बायोमैट्रिक पहचान द्वारा सीधे पात्र व्यक्तियों को दिए जा रहे हैं।
सरकार की वर्तमान योजनाओं के साथ-साथ भविष्य में आने वाली योजनाओं को भी भामाशाह योजना से जोड़ा जायेगा। ताकि आमजन को उन योजनाओं का लाभ सीधे व बिना किसी देरी के मिल सके।
इनके अतिरिक्त नामांकित सभी बीपीएल, स्टेट बीपीएल, अन्त्योदय व अन्नपूर्णा में चयनित परिवारों की महिला मुखिया के बैंक खाते में सहायता राशि के रुप में एक बार 2000 रुपये एकमुश्त जमा करवाए जाते हैं।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) राष्ट्रीय वित्तीय समावेशन मिशन है जो वहनीय तरीके से वित्तीय सेवाओं नामतः, बैंकिंग/बचत तथा जमा खाते, विप्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन तक पहुंच सुनिश्चित करता हो।
खाता किसी भी बैंक शाखा अथवा व्यवसाय प्रतिनिधि (बैंक मित्र) आउटलेट में खोला जा सकता है। पीएमजेडीवाई खातों जीरो बैलेंस के साथ खोला जा रहा है। हालांकि, खाता धारक अगर किताब की जांच करना चाहती है, वह / वह न्यूनतम बैलेंस मानदंडों को पूरा करना होगा।
10. प्रति परिवार, मख्यधत: परिवार की स्त्री के लिए सिर्फ एक खाते में 5,000/- रुपए तक की ओवरड्राफ्ट की सुविधा उपलब्ध है।
गांवों में वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आए, इसी सोच के साथ 27 जनवरी 2016 से ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ की शुरुआत की गई। बारिश के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर गांवों को जल आत्मनिर्भरता की ओर बढा़ना इस अभियान का मूल उद्देश्य है।
पहला चरण
अभियान के पहले चरण (27 जनवरी 2016 से 30 जून 2016 तक) में प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हज़ार 529 गांवों का चयन किया गया। अभियान के अन्तर्गत चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके आदि का मरम्मत कार्य एवं नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण किया गया है। इन जल संरचनाओं के निकट 26.5 लाख से ज़्यादा पौधारोपण भी किया गया है साथ ही इन पौधों का अगले 5 सालों तक संरक्षण भी इस अभियान में शामिल है। इसमें भू-संरक्षण, पंचायतीराज, मनरेगा, कृषि, उद्यान, वन, जलदाय, जल संसाधन एवं भूजल ग्रहण आदि 9 राजकीय विभागों, सामाजिक धार्मिक समूहों एवं आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की गई।
मुख्यमंत्री की दूरगामी सोच और बारिश के जल की एक-एक बूंद को सहज कर भूमि में समाहित करने की परिकल्पना अब साकार रूप लेने लगी है। अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपये की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे किये गए। अभियान में बनी जल संरचनाओं से लम्बे समय के लिए पानी इकट्ठा हुआ है और गांव जल आत्मनिर्भर बने हैं।
दूसरा चरण
9 दिसम्बर 2016 से शुरू हुए दूसरे चरण में 4 हज़ार 200 नए गांवों का चयन किया गया व 66 शहरों (प्रत्येक ज़िले से 2) को भी अभियान में शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहडों आदि की मरम्मत का कार्य किया गया। इस चरण में रूफ़ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के अलावा परकोलेशन टेंक भी बनाये गए हैं।
इस चरण में 2100 करोड़ रुपये की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाए गए हैं।
तीसरा चरण
तीसरे चरण का शुभारम्भ 9 दिसम्बर 2017 से हो चुका है। इसमें 4240 गांवों में काम किया जायेगा।
इस अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को लाभान्वित कर जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है।
बारिश के पानी को बहने से रोकने से लाभ
छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन एवं वित्तीय सहायता की जरूरत है। आज उच्च शिक्षा पहले से कहीं अधिक महंगी है जिससे छात्रों को अपने पसंद के पाठ्यक्रम और कॉलेजों को वहन करना कठिन हो रहा है। प्रतिभाशाली भारतीय छात्रों को उच्च शिक्षा का खर्च वहन करने में वित्तीय चुनौतियों और कठिनाई का सामना करना पड़ता है इसलिए भारत सरकार उन्हें छात्रवृत्ति देकर वित्तीय मदद प्रदान करती है । पहले विभिन्न शैक्षणिक छात्रवृत्ति योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया लंबी कागजी कार्रवाई के कारण छात्रों के लिए एक मुश्किल काम था। सरकार द्वारा शैक्षिक छात्रवृत्तियों के माध्यम से वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए उन्हें एक जगह से दूसरी जगह दौड़ना पड़ता था।
राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल एक अद्वितीय और सरल मंच है जो छात्रों के लिए एक कुशल और पारदर्शी तरीके से शैक्षिक छात्रवृत्ति का लाभ उठानें में मदद करने के लिए बनाई गई है।
भारत के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (एनएसपी) एक समाधान है जिसके माध्यम से एक स्थान पर छात्रों के लिए सेवाओं - छात्र आवेदन, आवेदन प्राप्ति, प्रसंस्करण, मंजूरी और विभिन्न छात्रवृत्तियों के वितरण को सक्षम किया गया है। राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल राष्ट्रीय ई-शासन योजना (एनईजीपी) के तहत मिशन मोड परियोजना के रूप में लिया गया है। इस पहल का उद्देश्य एक मिशन उन्मुख, सरलीकृत, जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी 'स्मार्ट' प्रणाली को उपलब्ध कराना है जिससे छात्रवृत्ति आवेदन का त्वरित एवं प्रभावी निपटान हो सके एवं बिना किसी लीकेज के धन का वितरण सीधे लाभार्थियों के खाते में किया जा सके।
उद्देश्य:
छात्रों के लिए एनएसपी के लाभ
15 अगस्त 2015 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शैक्षिक ऋण पाने के इच्छुक छात्रों के लाभ के लिए एक विद्या लक्ष्मी नामक वेब आधारित पोर्टल शुरू किया गया। यह पोर्टल वित्तीय सेवा विभाग, वित्त मंत्रालय, उच्च शिक्षा विभाग, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के मार्गदर्शन में एनएसडीएल ई-गवर्नेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एनएसडीएल ई-शासन) द्वारा विकसित एवं अनुरक्षित किया गया है।
इससे पहले केंद्रीय बजट 2015-16 में केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री विद्या लक्ष्मी कार्यक्रम के माध्यम से एक पूरी तरह से आईटी आधारित छात्र वित्तीय सहायता प्राधिकरण प्रशासन की स्थापना का प्रस्ताव शैक्षिक ऋण योजनाओं की निगरानी के लिए किया था जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी छात्र धन की कमी के कारण उच्च शिक्षा से वंचित न रहे। इस पोर्टल का शुभारंभ इस उद्देश्य को प्राप्त करने की दिशा में पहला कदम है।
विद्या लक्ष्मी पोर्टल अपनी तरह का एक पहला पोर्टल है जो छात्रों को बैंकों द्वारा प्रदान शैक्षिक ऋण के लिए जानकारी और आवेदन करने हेतु एकल खिड़की उपलब्ध कराता है। इस पोर्टल की निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
इस पहल का प्रयास शिक्षा ऋण उपलब्ध कराने के सभी बैंकों को साथ लाने का है। ऐसी उम्मीद है कि सभी बैंकों के विभिन्न शैक्षिक ऋण योजनाओं के लिए एक एकल खिड़की बनाने की सरकार की इस पहल से देश भर में छात्र लाभान्वित होंगें।
संबंधित कड़ियाँ
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई) पूरे ग्रामीण भारत को निरंतर बिजली की आपूर्ति प्रदान करने के लिए बनाया गया है। यह योजना नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में इस घोषणा के साथ शुरू की गयी थी कि "सरकार नें 1000 दिनों के भीतर 1 मई, 2018 तक 18,452 अविद्युतीकृत गांवों का विद्युतीकरण करने का फैसला लिया है"। यह भारत सरकार की प्रमुख पहलों में से एक है और विद्युत मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है। डीडीयूजीजेवाई से ग्रामीण परिवारों को काफी फायदा हो सकता है क्योंकि बिजली देश की वृद्धि और विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
यह योजना मौजूदा राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) को प्रतिस्थापित करेगी लेकिन राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना की सुविधाओं को डीडीयूजीजेवाई की नई योजना में सम्मिलित किया गया है और आरजीजीवीवाईयोजना की खर्च नहीं की गई राशि को डीडीयूजीजेवाई में शामिल किया जाएगा।
यह योजना विद्युत मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रमों में से एक है और बिजली की 24x7 आपूर्ति की सुविधा को सुगम बनायेगी।
योजना के मुख्य घटक हैं :
योजना के लाभ
पूरी योजना 43,033 करोड़ रुपये के निवेश की है जिसमें से पूरे कार्यान्वयन की अवधि में भारत सरकार से 33,453 करोड़ रुपये के बजटीय समर्थन की आवश्यकता शामिल हैं। इस योजना के तहत प्राइवेट डिस्कॉम और राज्य के विद्युत विभागों सहित सभी डिस्कॉम वित्तीय सहायता के पात्र हैं। डिस्कॉम ग्रामीण बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने लिए विशिष्ट नेटवर्क की आवश्यकता को प्राथमिकता देंगे और योजना के तहत कवरेज के लिए परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेंगे। ग्रामीण विद्युतीकरण निगम लिमिटेड (आरईसी) इस योजना के संचालन के लिए नोडल एजेंसी है। यह विद्युत मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को इस योजना के कार्यान्वयन पर वित्तीय और भौतिक दोनों प्रगति को दर्शाते हुए मासिक प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
निगरानी समिति
सचिव (विद्युत) की अध्यक्षता में निगरानी समिति परियोजनाओं को मंजूरी देगी और इस योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी। योजना के तहत निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार इस योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय, राज्य सरकार और डिस्कॉम के बीच उपयुक्त त्रिपक्षीय समझौते को निष्पादित किया जाएगा। राज्य विद्युत विभागों के मामलों में द्विपक्षीय समझौते को निष्पादित किया जाएगा।
कार्यान्वयन की विधि
परियोजना को टर्नकी आधार पर लागू किया जाएगा। खुली प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित मूल्य के आधार पर (बदलाव के लिए प्रावधान के बिना) टर्नकी अनुबंध प्रदान किया जायेगा। निगरानी समिति द्वारा अनुमोदन की सूचना के तीन महीने के भीतर परियोजनाओं को सम्मानित किया जाना है। हालांकि, असाधारण परिस्थितियों में निगरानी समिति के अनुमोदन के साथ आंशिक टर्नकी / विभागीय आधार पर निष्पादन अनुमति दी जाएगी।
इस योजना के तहत परियोजनाओं को कार्य पत्र जारी होने की तारीख से 24 महीने की अवधि के भीतर पूरा कर लिया जाएगा।
योजना का अनुदान भाग विशेष श्रेणी के राज्यों के अलावा अन्य राज्यों के लिए 60% (निर्धारित मील के पत्थर की उपलब्धि पर 75% तक) और विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 85% (निर्धारित मील के पत्थर की उपलब्धि पर 90% तक) है। अतिरिक्त अनुदान के लिए मील के पत्थर योजना को समय पर पूरा करना, प्रति प्रक्षेपवक्र एटीएंडसी नुकसान में कमी और राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी की अग्रिम रिलीज हैं। सभी पूर्वोत्तर राज्यों सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड सहित को विशेष राज्यों की श्रेणी में शामिल किया गया हैं।
हाल के अद्यतन
परियोजना को मिशन मोड के आधार पर लिया गया है और विद्युतीकरण के लिए रणनीति में कार्यान्वयन सारणी को 12 महीने के समयसीमा में सीमित करना एवं ग्राम विद्युतीकरण प्रक्रिया को निगरानी के लिए निर्धारित समयसीमा के 12 चरणों के मील के पत्थर में विभाजित किया गया है।
अप्रैल 2015 से 14 अगस्त, 2015 तक कुल 1654 गांवों को विद्युतीकृत किया गया और भारत सरकार द्वारा मिशन मोड रूप में पहल करने के बाद 15 अगस्त, 2015 से 17 अप्रैल, 2016 तक 5689 अतिरिक्त गांवों को विद्युतीकृत किया गया। प्रगति में और तेजी लाने के लिए ग्राम विद्युत अभियंता (जी वी ए) के माध्यम से करीबी निगरानी किया जा रहा है एवं मासिक आधार पर प्रगति की समीक्षा, योजना और निगरानी (आरपीएम) की बैठक, राज्य डिस्कॉम के साथ विद्युतीकरण के स्तर पर वाले गांवों की सूची साझा करना, ऐसे गांवों की पहचान करना जहॉ प्रगति में देरी हो रही है आदि विभिन्न कदम नियमित आधार पर उठाए जा रहे हैं।
भारत किसानों का देश है जहां ग्रामीण आबादी का अधिकतम अनुपात कृषि पर आश्रित है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी नें 13 जनवरी 2016 को एक नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का अनावरण किया।
यह योजना उन किसानों पर प्रीमियम का बोझ कम करने में मदद करेगी जो अपनी खेती के लिए ऋण लेते हैं और खराब मौसम से उनकी रक्षा भी करेगी।
बीमा दावे के निपटान की प्रक्रिया को तेज और आसान बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि किसान फसल बीमा योजना के संबंध में किसी परेशानी का सामना न करें। यह योजना भारत के हर राज्य में संबंधित राज्य सरकारों के साथ मिलकर लागू की जायेगी। एसोसिएशन में के निपटान की प्रक्रिया बनाने का फैसला किया गया है। इस योजना का प्रशासन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाएगा।
योजना के उद्देश्य
इस योजना के तहत शामिल किया गया
अनिवार्य घटक के तहत ऋणी किसानों के मामले में बीमित राशि जिला स्तरीय तकनीकी समिति (DLTC) बीमित द्वारा निर्धारित वित्तिय माप के बराबर होगा जिसे बीमित किसान के विकल्प पर बीमित फसल की अधिकतम उपज के मूल्य तक बढ़ाया जा सकता है। यदि अधिकतम उपज का मूल्य ऋण राशि से कम है तो बीमित राशि अधिक होगी।
राष्ट्रीय अधिकतम उपज को चालू वर्ष के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के साथ गुणा करने पर बीमा राशि का मूल्य प्राप्त होता है। जहां कहीं भी चालू वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य उपलब्ध नहीं है, पिछले वर्ष का न्यूनतम समर्थन मूल्य अपनाया जाएगा।
जिन फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा नहीं की गई है, विपणन विभाग/बोर्ड द्वारा स्थापित मूल्य अपनाया जाएगा।
योजना बड़े पैमाने पर आपदाओं के लिए प्रत्येक अधिसूचित फसल के लिए एक 'क्षेत्र दृष्टिकोण आधार' (यानी, परिभाषित क्षेत्रों) पर लागू की जायेगी। यह धारणा है कि सभी बीमित किसान को बीमा की एक इकाई के रूप में एक फसल के लिए "अधिसूचित क्षेत्र" के तौर पर परिभाषित किया जाना चाहिए, जो समान जोखिम का सामना करते हैं और काफी हद तक एक समान प्रति हेक्टेयर उत्पादन के लागत, प्रति हेक्टेयर तुलनीय कृषि आय और अधिसूचित क्षेत्र में जोखिम के कारण एक समान फसल हानि अनुभव करते हैं। अधिसूचित फसल के लिए इंश्योरेंस की यूनिट को जनसंख्या की दृष्टि से समरूप जोखिम प्रोफाइल वाले क्षेत्र से मैप किया जा सकता है।
परिभाषित जोखिम के कारण स्थानीय आपदाओं और पोस्ट-हार्वेस्ट नुकसान के जोखिम के लिए, नुकसान के आकलन के लिए बीमा की इकाई प्रभावित व्यक्तिगत किसान का बीमाकृत क्षेत्र होगा।
क्रियान्वयन एजेंसी
बीमा कंपनियों के कार्यान्वयन पर समग्र नियंत्रण कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत किया जाएगा।
मंत्रालय द्वारा नामित पैनल में शामिल एआईसी और कुछ निजी बीमा कंपनियॉ वर्तमान में सरकार द्वारा प्रायोजित कृषि, फसल बीमा योजना में भाग लेंगी। निजी कंपनियों का चुनाव राज्यों के उपर छोड़ दिया गया है। पूरे राज्य के लिए एक बीमा कंपनी होगी।
कार्यान्वयन एजेंसी का चुनाव तीन साल की अवधि के लिए किया जा सकता है, तथापि राज्य सरकार/केन्द्र शासित प्रदेश तथा संबंधित बीमा कंपनी यदि प्रासंगिक हो तो शर्तों पर फिर से बातचीत करने के लिए स्वतंत्र हैं। यह बीमा कंपनियों को किसानों के बीच सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों में प्रीमियम बचत से निवेश करने के माध्यम से विश्वसनीयता स्थापित करने के लिए सुविधा प्रदान करेगा।
राज्य में योजना के कार्यक्रम की निगरानी के लिए संबंधित राज्य की मौजूदा फसल बीमा पर राज्य स्तरीय समन्वय समिति (SLCCCI) जिम्मेदार होगी। हालांकि कृषि सहयोग और किसान कल्याण विभाग(डीएसी और परिवार कल्याण) के संयुक्त सचिव (क्रेडिट) की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की निगरानी समिति (NLMC) राष्ट्रीय स्तर पर इस योजना की निगरानी करेगी।
किसानों को अधिकतम लाभ सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक फसली मौसम के दौरान प्रभावी कार्यान्वयन के लिए निम्नलिखित निगरानी उपायों का पालन प्रस्तावित है:
इसके अलावा, जिला स्तरीय निगरानी समिति (DLMC) जो पहले से ही चल रही फसल बीमा योजनाओं जैसे राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस), मौसम आधारित फसल बीमा योजना (WBCIS), संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) और नारियल पाम बीमा योजना (CPIS) के कार्यान्वयन और निगरानी की देखरेख कर रही है, योजना के उचित प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होगी।
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम मजदूरी के बराबर या उससे ऊपर मासिक मजदूरी प्रदान करने का लक्ष्य रखता है। यह ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलों में से एक है। आजीविका गरीबी कम करने के लिए एक मिशन है जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) का एक हिस्सा है। इस योजना से 550 लाख से अधिक ऐसे गरीब ग्रामीण युवाओं को जो कुशल होने के लिए तैयार हैं, स्थायी रोजगार प्रदान करने के द्वारा लाभ होगा।
इस योजना का महत्व गरीबी कम करने की इसकी क्षमता से है। इसकी संरचना प्रधानमंत्री के अभियान 'मेक इन इंडिया' के लिए एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में की गई है।
गरीबी कम करने के लिए परिवारों को नियमित रूप से मजदूरी के माध्यम से लाभकारी और स्थायी रोजगार का उपयोग करने के लिए गरीबों को सक्षम बनाना।
मार्गदर्शक सिद्धांत
डीडीयू-जीकेवाई का दृष्टिकोण
सामाजिक रूप से वंचित समूह के अनिवार्य कवरेज द्वारा उम्मीदवारों का पूर्ण सामाजिक समावेश सुनिश्चित किया जाता है। धन का 50% अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, 15% अल्पसंख्यकों के लिए और 3% विकलांग व्यक्तियों के लिए के लिए निर्धारित किया जाएगा। उम्मीदवारों में एक तिहाई संख्या महिलाओं की होनी चाहिए।
जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय युवा उम्मीदवारों को हिमायत नाम की एक विशेष उप योजना के माध्यम से सक्षम किया गया है जो ग्रामीण विकास मंत्रालय के द्वारा राज्य के लिए एडीएसपी के तहत चल रही है एवं इसमें शहरी के साथ ही ग्रामीण युवाओं और गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) तथा साथ ही गरीबी रेखा से ऊपर ( एपीएल) को भी शामिल किया गया है। इसके अलावा, रोशनी - आदिवासी क्षेत्रों और महत्वपूर्ण वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों के लिए एक विशेष योजना अलग दिशा निर्देशों के साथ शुरू की गयी है जो चयनित महत्वपूर्ण वामपंथी उग्रवाद जिलों में खास परिस्थितियों हेतु है। विशेष रूप से यह अलग अलग समय अवधि के लिए प्रशिक्षण प्रदान करता है।
डीडीयू-जीकेवाई के तहत कार्यान्वयन प्रतिरूप
डीडीयू-जीकेवाई एक त्रिस्तरीय कार्यान्वयन प्रतिरूप है। नीति निर्माण, तकनीकी सहायता और सरलीकरण एजेंसी के रूप में डीडीयू-जीकेवाई राष्ट्रीय यूनिट ग्रामीण विकास मंत्रालय में काम करता है। डीडीयू-जीकेवाई के राज्य मिशन कार्यान्वयन का समर्थन प्रदान करते हैं और परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसियॉ स्किलिंग और प्लेसमेंट परियोजनाओं के माध्यम से कार्यक्रम को लागू करती हैं।
डीडीयू-जीकेवाई की परियोजना अनुदान
डीडीयू-जीकेवाई बाजार की मांग के समाधान के लिए नियोजन से जुड़ी स्किलिंग परियोजनाओं के लिए 25,696 रूपए से लेकर 1 लाख रूपए प्रति व्यक्ति तक की वित्तीय सहायता प्रदान करता है जो परियोजना की अवधि और परियोजना के आवासीय या गैर आवासीय होने पर निर्भर करता है। डीडीयू-जीकेवाई 576 घंटे (3 महीने) से लेकर 2,304 घंटे (12 महीने) तक के प्रशिक्षण अवधि की परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करता है ।
डीडीयू-जीकेवाई के तहत अनुदान के घटक डीडीयू-जीकेवाई 250 से अधिक व्यापार क्षेत्रों जैसे खुदरा, आतिथ्य, स्वास्थ्य, निर्माण, मोटर वाहन, चमड़ा, विद्युत, पाइपलाइन, रत्न और आभूषण आदि को अनुदान प्रदान करता है। इसका एकमात्र अधिदेश है कि कौशल प्रशिक्षण मांग आधारित होना चाहिए और कम से कम 75% प्रशिक्षुओं की नियुक्ति होनी चाहिए।
परियोजनाओं के वित्त पोषण हेतु प्राथमिकता निम्न पेशकश करने वाले पीआईए को दी जाती है: :
देश में कार्यबल की कुल संख्या में लगभग 93 प्रतिशत असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं। सरकार ने कुछ व्यावसायिक समूहों के लिए कुछ सामाजिक सुरक्षा उपायों का कार्यान्वयन किया है किंतु इनका कवरेज अभी बहुत कम है। अधिकांश कामगारों के पास कोई सामाजिक सुरक्षा कवरेज अब भी नहीं है। असंगठित क्षेत्र में कामगारों के लिए एक बड़ी असुरक्षा उनका बार बार बीमार पड़ना तथा उक्त कामगारों एवं उनके परिवार के सदस्यों की चिकित्सा देखभाल तथा उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है। स्वास्थ्य सुविधाओं में विस्तार के बावजूद इनकी बीमारी भारत में मानव के वंचित रहने के सर्वाधिक कारणों में से एक बनी हुई है।
इसे स्पष्ट रूप से मान्यता दी गई है कि स्वास्थ्य बीमा स्वास्थ्य के जोखिम के कारण निर्धन परिवारों को सुरक्षा देने का एक माध्यम है, जिससे अधिक व्यय के कारण निर्धनता बढ़ती है। निर्धन व्यक्ति इसकी लागत या इच्छित लाभ की कमी के कारण स्वास्थ्य बीमा लेने के लिए अनिच्छुक होते हैं या सक्षम नहीं होते हैं। स्वास्थ्य बीमा करना और इसे लागू करना, खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, बहुत कठिन है। इन कामगारों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत पहचानते हुए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना (आरएसबीवाय) आरंभ की है। 25 मार्च 2013 तक, योजना में 34,285,737 स्मार्ट कार्ड और 5,097,128 अस्पताल में भर्ती होने के मामले हैं।
पिछले समय में सरकार ने या तो राज्य स्तर या राष्ट्रीय स्तर पर चुने हुए लाभार्थियों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करने का प्रयास किया है। जबकि, इनमें से अधिकांश योजनाएं अपने वांछित उद्देश्य पूरे करने में सक्षम नहीं रही थी। आम तौर पर ये इन योजनाओं की डिजाइन और / या कार्यान्वयन के मुद्दे थे।
इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने एक ऐसी स्वास्थ्य बीमा योजना तैयार की जिसमें ना केवल पिछले योजनाओं की कमियों को दूर किया गया, बल्कि इससे एक कदम आगे जाकर एक विश्व स्तरीय मॉडल प्रदान किया गया। मौजूदा और पूर्व स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की एक आलोचनात्मक समीक्षा की गई और इनकी उत्तम प्रथाओं से प्राप्त उद्देश्यों और गलतियों से सबक लिया गया। इन सभी को विचार में लेकर और समान व्यवस्थाओं में विश्व के स्वास्थ्य बीमा के अन्य सफल मॉडलों की समीक्षा के बाद आर एस बी वाय को डिजाइन किया गया। इसे 1 अप्रैल 2008 से आरंभ किया गया है।
आरएसबीवाय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्रदान करने हेतु आरंभ की गई है। आरएसबीवाय का उद्देश्य स्वास्थ्य आघातों से उत्पन्न वित्तीय देयताओं से गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को सुरक्षा प्रदान करना है, जिसमें अस्पताल में भर्ती करना शामिल है।
योग्यताएं
लाभ
लाभार्थियों को उक्त आंतरिक स्वास्थ्य देखभाल बीमा लाभों की पात्रता होगी जिन्हें लोगों / भौगोलिक क्षेत्र की आवश्यकता के आधार पर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा तैयार किया जाएगा। जबकि, राज्य सरकारों को पैकेज / योजना में निम्नलिखित न्यूनतम लाभों को शामिल करने की सलाह दी गई है :
निधिकरण पैटर्न
नामांकन प्रक्रिया
बीमा कर्ता को पूर्व निर्दिष्ट डेटा फॉर्मेट का उपयोग करते हुए पात्र गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की एक इलेक्ट्रॉनिक सूची दी जाएगी। बीमा कंपनी द्वारा तिथि सहित प्रत्येक गांव के लिए एक नामांकन अनुसूची बनाई जाएगी जिसमें जिला स्तरीय अधिकारियों की सहायता ली जाएगी। अनुसूची के अनुसार नामांकन से पहले प्रत्येक गांव के गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की सूची नामांकन स्टेशन तथा प्रमुख स्थानों में लगाई जाएगी तथा गांव में नामांकन की तिथि और स्थान का प्रचार पहले से किया जाएगा। प्रत्येक गांव में स्थानीय केंद्रों में चलनशील नामांकन स्टेशन बनाए जाते हैं (उदाहरण के लिए पब्लिक स्कूल)।
इन स्टेशनों पर बीमाकर्ता द्वारा शामिल परिवार के सदस्यों की बायोमेट्रिक जानकारी (अंगुलियों के निशान) प्राप्त करने और तस्वीर लेने के लिए आवश्यक हार्डवेयर तथा फोटो के साथ स्मार्ट कार्ड प्रिंट करने के लिए एक प्रिंटर उपलब्ध कराया जाता है। लाभार्थी द्वारा तीस रुपए का शुल्क देने के बाद और संबंधित अधिकारी द्वारा स्मार्ट कार्ड के अभिप्रमाणन के पश्चात् स्मार्ट कार्ड के साथ योजना का विवरण और अस्पतालों की सूची सहित एक सूचना पेम्फ्लेट वाला उन्हें दिया जाता है। इस प्रक्रिया में सामान्य तौर पर 10 मिनट से कम का समय लगता है। कार्ड प्लास्टिक के कवर में दिया जाता है।
स्मार्ट कार्ड अनेक गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है, जैसे रोगी के बारे में तस्वीर और अंगुलियों के छापे के माध्यम से लाभार्थी की पहचान। स्मार्ट कार्ड का सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह है कि इससे नामिकाबद्ध अस्पतालों में नकद रहित लेनदेन की सक्षमता मिलती है और ये लाभ पूरे देश में कहीं भी उठाए जा सकते हैं। अभिप्रमाणित स्मार्ट कार्ड नामांकन स्टेशन पर ही लाभार्थी को सौंप दिए जाएंगे। स्मार्ट कार्ड पर परिवार के मुखिया की तस्वीर को पहचान के प्रयोजन हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है, यदि बायोमेट्रिक सूचना असफल रहती है।
सेवा प्रदायगी
नामांकन के समय अस्पतालों की एक सूची (सार्वजनिक और निजी दोनों)(बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) प्रदान की जाएगी। स्मार्ट कार्ड के साथ एक हेल्प लाइन नंबर भी दिया जाएगा। अर्हकारी मानदण्डों के आधार पर सार्वजनिक और निजी, दोनों प्रकार के अस्पतालों को बीमा कंपनी द्वारा नामिकाबद्ध किया जाएगा। लाभार्थी के पास अपनी इच्छा अनुसार अस्पताल जाने का विकल्प होगा।
अस्पताल को 30000/- रुपए तक के इलाज के लिए कोई भुगता नहीं करना होगा।
नकद रहित सेवा के मामले में रोगी को इलाज और अस्पताल में भर्ती कराने के लिए कोई राशि व्यय नहीं करनी होगी। यह अस्पताल का दायित्व है कि वह बीमा कर्ता से इसका दावा करें।
आरएसबीवाय योजना भारत सरकार द्वारा कम आय वाले कामगारों को स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने का पहला प्रयास नहीं है। जबकि आरएसबीवाय योजना अनेक महत्वपूर्ण तरीकों से इन योजनाओं से भिन्न है।
पेंशन की योजना द्वारा वृद्धावस्था के दौरान उस समय वित्तीय सुरक्षा और स्थायित्व दिया जाता है, जब लोगों के पास आय का कोई नियमित स्रोत नहीं होता है। सेवा निवृत्ति योजना द्वारा सुनिश्चित किया जाता है कि लोगों के पास प्रतिष्ठापूर्ण जीवन जीने और अपनी उम्र के बढ़ते वर्षों में अपना जीवन स्तर किसी समझौते के बिना अच्छा बनाए रखने की सुविधा हो। पेंशन योजना से लोगों को निवेश करने और अपनी बचत संचित करने का अवसर मिलता है जो सेवा निवृत्ति के समय वार्षिक योजना के रूप में एक नियमित आय के तौर पर उन्हें एक मुश्त राशि दे सके।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या प्रभाग के अनुसार भारत में जीवन प्रत्याशा वर्तमान 65 वर्ष से बढ़कर 2050 तक 75 वर्ष पहुंच जाने की आशा है। देश में बेहतर स्वास्थ्य और स्वच्छता परिस्थितियों से जीवन अवधि बढ़ गई है। इसके परिणाम स्वरूप सेवा निवृत्ति के पश्चात के वर्षों की संख्या भी बढ़ गई है। इस प्रकार जीवन की बढ़ती लागत, स्फीति और जीवन प्रत्याशा ने सेवा निवृत्ति की योजना को आज के जीवन का अनिवार्य हिस्सा बना दिया है। अधिक से अधिक नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली आरंभ की
भारत सरकार ने देश में पेंशन क्षेत्र के विकास और विनियमन के लिए 10 अक्तूबर 2003 को पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं स्थापित किया। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) 1 जनवरी 2004 को सभी नागरिकों को सेवानिवृत्ति आय प्रदान करने के उद्देश्य से आरंभ की गई थी। एनपीएस का लक्ष्य पेंशन के सुधारों को स्थापित करना और नागरिकों में सेवानिवृत्ति के लिए बचत की आदत को बढ़ावा देना है।
आरंभ में एनपीएस सरकार में भर्ती होने वाले नए व्यक्तियों (सशस्त्र सेना बलों के अलावा) के लिए आरंभ की गई थी। एनपीएस 1 मई 2009 से स्वैच्छिक आधार पर असंगठित क्षेत्र के कामगारों सहित देश के सभी नागरिकों को प्रदान की गई है।
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने सेवा निवृत्ति के लिए असंगठित क्षेत्र को स्वैच्छिक बचत का बढ़ावा देने के लिए केंद्रीय बचट 2010-11 में एक सह अंश दान पेंशन योजना स्वावलंबन योजना- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं आरंभ की। स्वावलंबन योजना- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के तहत सरकार प्रत्येक एनपीएस अंश दाता को 1000 रुपए की राशि प्रदान करेगी जो न्यूनतम 1000 रुपए और अधिकतम 12000 रुपए का अंश दान प्रति वर्ष करता है। यह योजना वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2016-17 तक लागू है।
अभिदाता को सेवा निवृत्ति के लिए बचत में सहायता देने हेतु एनपीएस की ओर से निम्नलिखित महत्वपूर्ण विशेषताएं प्रस्तावित की जाती हैं :
पीआरएएन द्वारा दो व्यक्तिगत खातों तक पहुंच बनाई जाएगी :
विनियामक और एनपीएस की इकाइयां
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) : पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं एक स्वायत्त निकाय है जिसकी स्थापना भारत में पेंशन बाजार के विकास और विनियमन हेतु की गई है।
उपस्थिति के बिंदु (पीओपी) : उपस्थिति के बिंदु (पीओपी) एनपीएस संरचना के साथ अंत:क्रिया के प्रथम बिंदु हैं। एक पीओपी की अधिकृत शाखाएं उपस्थिति के बिंदु सेवा प्रदाता (पीओपी - एसपी) संग्रह बिंदु के रूप में कार्य करेंगे और एनपीएस अभिदाता को अनेक ग्राहक सेवाएं प्रदान करेंगे। पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों, निजी वित्तीय संस्थानों और डाक विभाग- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं सहित नागरिकों के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) खोलने के लिए उपस्थिति के बिंदु (पीओपी) के रूप में 58 संस्थानों को अधिकृत किया है।
केंद्रीय अभिलेखन एजेंसी (सीआरए) : एनपीएस के सभी अभिदाताओं के अभिलेखों के रखरखाव और ग्राहक सेवा कार्य नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं द्वारा संभाले जाते हैं, जो एनपीएस के लिए केंद्रीय अभिलेख रखरखाव केंद्र के रूप में कार्य करता है।
वार्षिकी सेवा प्रदाता (एएसपी) : वार्षिकी सेवा प्रदाता (एएसपी)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं एनपीएस से निकलने के बाद अभिदाता को नियमित रूप से मासिक पेंशन प्रदान करने के लिए जिम्मेदार होगा।
केंद्र सरकार के कर्मचारी
एनपीसी केंद्रीय सरकार सेवा (सशस्त्र सेनाओं के अलावा) के तथा 1 जनवरी 2004 को या उसके बाद सरकारी सेवा में आने वाले केंद्रीय स्वायत्त निकायों के सभी नए कर्मचारियों पर लागू है। अन्य कोई सरकारी कर्मचारी जो एनपीएस के तहत अनिवार्य रूप से शामिल नहीं है, वह भी उपस्थिति बिंदु सेवा प्रदाता (पीओपी - एसपी) के माध्यम से "सभी नागरिक मॉडल" के तहत भी अभिदान कर सकता है।
केंद्र सरकार के कर्मचारी निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से एनपीएस (टायर - 1) के लिए अभिदान कर सकते हैं :
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अपने नोडल कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) अभिदान करना अनिवार्य है। प्रत्येक माह उसके वेतन का 10 प्रतिशत (मूल वेतन+ महंगाई भत्ता) और इसके समकक्ष राशि सरकार द्वारा एनपीएस में निवेश की जाएगी।
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं या वित्त मंत्रालय- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के दिशा निर्देशों के अनुसार अभिदाता अपनी सेवा निवृत्ति, त्याग पत्र या मृत्यु के समय एनपीएस से आहरण कर सकता है।
सेवा निवृत्ति के समय एक अभिदाता को पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैंसूचीबद्ध और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं अनुमोदित वार्षिक सेवा प्रदाताओं (एएसपी)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं से एक जीवन वार्षिकी खरीदने के लिए अपनी संचित बचत का न्यूनतम 40 प्रतिशत भाग निवेश करने की आवश्यकता है। लगभग 80 प्रतिशत की राशि वार्षिकीकृत की जाएगी और शेष राशि त्यागपत्र के समय अभिदाता द्वारा आहरित की जा सकती है। अभिदाता की मृत्यु के मामले में, नामिती को पूरी राशि सौंप दी जाएगी।
राज्य सरकार के कर्मचारी
एनपीएस राज्य सरकारों के सभी कर्मचारियों पर लागू होता है, जो संबंधित राज्य सरकारों की अधिसूचना की तारीख के बाद द्वारा राज्य स्वायत्त निकायों सेवाओं में शामिल होते हैं। अन्य कोई सरकारी कर्मचारी जो एनपीएस के तहत अनिवार्य रूप से शामिल नहीं है, वह भी उपस्थिति बिंदु सेवा प्रदाता (पीओपी - एसपी) के माध्यम से "सभी नागरिक मॉडल" के तहत भी अभिदान कर सकता है।
राज्य सरकार के कर्मचारी निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से एनपीएस (टायर - 1) के लिए अभिदान कर सकते हैं :
राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए अपने नोडल कार्यालय के माध्यम से राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) अभिदान करना अनिवार्य है। प्रत्येक माह उसके वेतन का 10 प्रतिशत (मूल वेतन+ महंगाई भत्ता) और इसके समकक्ष राशि सरकार द्वारा एनपीएस में निवेश की जाएगी।
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं या वित्त मंत्रालय- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के दिशा निर्देशों के अनुसार अभिदाता अपनी सेवा निवृत्ति, त्याग पत्र या मृत्यु के समय एनपीएस से आहरण कर सकता है।
सेवा निवृत्ति के समय एक अभिदाता को पीएफआरडीए सूचीबद्ध और पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं सूचीबद्ध और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं अनुमोदित वार्षिक सेवा प्रदाताओं (एएसपी)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैंसे एक जीवन वार्षिकी खरीदने के लिए अपनी संचित बचत का न्यूनतम 40 प्रतिशत भाग निवेश करने की आवश्यकता है। लगभग 80 प्रतिशत की राशि वार्षिकी कृत की जाएगी और शेष राशि त्यागपत्र के समय अभिदाता द्वारा आहरित की जा सकती है। अभिदाता की मृत्यु के मामले में, नामिती को पूरी राशि सौंप दी जाएगी।
कॉर्पोरेट
कॉर्पोरेट जगत में निवेश का विकल्प चुनने की नम्यता है और वे अपने सभी अभिदाताओं के लिए अभिदाता स्तर पर या नैगम स्तर पर केंद्रीय रूप से इसे अपना सकते हैं। कॉर्पोरेट या अभिदाता 'सभी नागरिक मॉडल' के तहत उपलब्ध पेंशन निधि प्रबंधक (पीएफएम)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं में से किसी एक को चुन सकते हैं और साथ ही विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों में आबंटित निधियों का प्रतिशत चुन सकते हैं।
राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस)-कॉर्पोरेट मॉडल में कर्मचारी की पेंशन के लिए सह अभिदान हेतु कॉर्पोरेट को एक मंच प्रदान किया जाता है। कॉर्पोरेट पेंशन कार्यों के लिए स्वयं प्रशासन पर होने वाले व्यय में भी बचत कर सकते हैं, जैसे पृथक न्यास की स्थापना, अभिलेख रखना, निधि प्रबंधन, वार्षिक प्रदान करना आदि। एनपीएस के तहत कॉरपोरेट अपने कर्मचारियों के लिए पीएफएम के विकल्प का उपयोग कर सकते हैं, (तीन परिसंपत्ति वर्गों के बीच कोष का आबंटन) या कर्मचारियों के पास इसका विकल्प छोड़ सकते हैं।
एनपीएस पारदर्शी निवेश मानदंडों के साथ एक विवेकपूर्वक रूप से विनियमित योजना है, एनपीएस न्यास द्वारा पीएफआरडीए के समग्र पर्यवेक्षण में नियमित रूप से निधि प्रबंधकों के प्रदर्शन की निगरानी और समीक्षा की जाती है। कॉर्पोरेट और सरकार के बॉन्ड इक्विटी में निवेश मिश्रण के विकल्प के संदर्भ में भरपूर नम्यता (50 प्रतिशत तक) प्राप्त होती है।
जो वित्तीय रूप से अवगत नहीं है या झुकाव नहीं रखते वे एनपीएस में जीवन चक्र निधि का विकल्प अपनाकर निष्क्रिय रूप से निधि का प्रबंधन कर सकते हैं, जिसमें प्रतिवर्ष 50 प्रतिशत की इक्विटी की राशि दो प्रतिशत घटकर निवेशक के 35 वर्ष के हो जाने तक 10 प्रतिशत रह जाती है। इसमें उच्च जोखिम उच्च लाभ पोर्टफोलियो मिश्रण के लिए विकल्प की कार्यनीति जीवन में जल्दी अपनाने का ध्यान रखा जाता है, जब किसी संभावित दुर्घटना को संभालने के लिए पर्याप्त समय होता है। व्यक्ति धीरे धीरे सेवानिवृत्ति तक पहुंचने के समय तक नियत लाभ अल्प जोखिम पोर्टफोलियो अपना सकता है। साथ ही इसमें पीएफएम का विकल्प है और निवेश के पैटर्न वर्ष में एक बार बदले जा सकते हैं।
नियोक्ता वेतन की 10 प्रतिशत राशि तक (मूलभूत और महंगाई भत्ता) कर्मचारी की पेंशन में योगदान के लिए दी जाने वाली राशि पर कर लाभ का दावा कर सकता है, जो आईटी अधिनियम की धारा 36 (1) के तहत लाभ और हानि खाते से व्यापार व्यय के रूप में लिया जाता है।
नपीएस से 18 वर्ष की उम्र से लेकर 40 वर्ष की उम्र तक कॉपर्स संचित किया जा सकता है, चाहे वे किसी भी स्थान पर रहते हों और नियोक्ता प्रतिस्पर्द्धी उपभोक्ता व्ययों के लिए आहरण के रूप में न्यूनतम व्यय के साथ एक पीआरएएन खाते में कर रियायतों के संयुक्त प्रभाव और अल्प शुल्क का लाभ दे सकते हैं, और व्यावसायिक रूप से प्रबंधित निधि के साथ व्यक्ति के जोखिम को पूरा कर सकते हैं, संचित अवस्था से सेवानिवृत्ति संपत्ति के अबाधित अंतरण से 60 वर्ष की आयु पहुंचने तक एक व्यक्ति के विकल्प के अनुसार सात आईआरडीए- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं विनियमित वार्षिक सेवा प्रदाताओं (एएसपी)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं में से किसी एक को चुन सकते हैं।
अतिरिक्त कर लाभ कर्मचारी को आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार एनपीएस में शामिल होने के बाद मिल सकता है जो इस योजना की सबसे अहम विशेषता है। एनपीएस टायर 1 में अभिदाता का योगदान वेतन के 10 प्रतिशत (मूल + मंहगाई भत्ता) धारा 80 सीसीडी (i) के तहत कर से छूट है, जिसमें धारा 80 सीसीई के तहत एक लाख रुपए की सीमा निर्धारित की गई है। इसके अलावा वेतन के 10 प्रतिशत तक कर्मचारी अभिदान पर भी आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीडी (2) के तहत कर्मचारी को कर से रियायत दी जाती है। यह रियायत 1 लाख रुपए की सीमा से ऊपर है, अत: एनपीएस इस कर उपचार के लिए एक विशिष्ट विकल्प बन जाता है।
अत: एनपीएस में योगदान द्वारा नियोक्ता कोई अतिरिक्त कंपनी व्यय (सीटीसी) किए बिना वेतन संरचना में पुनर्गठन द्वारा कर्मचारी को अतिरिक्त कर लाभ दे सकता है।
कॉर्पोरेट समझौता ज्ञापन के माध्यम से किसी भी अनुमोदित पीओपी के साथ गठबंधन द्वारा अपने कर्मचारियों को एनपीएस प्रदान कर सकता है। एक पात्र नैगम इकाई पीओपी के साथ प्रभार में मोल तोल के लिए स्वतंत्र है, जहां पीओपी - एसपी सभी नागरिक मॉडल के अनुसार संपूर्ण डेटा अपलोड करने का कार्य करेगा।
कॉर्पोरेट निम्नलिखित प्रक्रिया के माध्यम से एनपीएस के लिए पंजीकृत कर सकते हैं:
एक कॉर्पोरेट को अभिदाता स्तर या नैगम स्तर पर केन्द्रीय रूप से अपने सभी अभिदाताओं के लिए निवेश योजना प्राथमिकता (पीएफएम और निवेश विकल्प) चुनने की नम्यता होगी।
पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं या वित्त मंत्रालय- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं के दिशा निर्देशों के अनुसार अभिदाता अपनी सेवा निवृत्ति, त्याग पत्र या मृत्यु के समय एनपीएस से आहरण कर सकता है।
सेवा निवृत्ति के समय एक अभिदाता को पीएफआरडीए सूचीबद्ध और बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीए)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं (IRDA) अनुमोदित वार्षिक सेवा प्रदाताओं (एएसपी)- बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं से एक जीवन वार्षिकी खरीदने के लिए अपनी संचित बचत का न्यूनतम 40 प्रतिशत भाग निवेश करने की आवश्यकता है। लगभग 80 प्रतिशत की राशि वार्षिकी कृत की जाएगी और शेष राशि त्यागपत्र के समय अभिदाता द्वारा आहरित की जा सकती है। अभिदाता की मृत्यु के मामले में, नामिती को पूरी राशि सौंप दी जाएगी।
व्यक्ति
भारत के सभी नागरिक चाहे वे निवासी हों या अनिवासी 18 वर्ष की उम्र से लेकर 60 वर्ष की उम्र तक उपस्थिति बिन्दु (पीओपी) / उपस्थिति बिन्दु - सेवाप्रदाता (पीओपी- एसपी) एनपीएस में आवेदन जमा करने की तिथि से एनपीएस में शामिल हो सकते हैं।
यदि आप राजस्थान के निवासी है तथा आप राजस्थान राशन कार्ड हेतु आवेदन करना चाहते है तो आप राजस्थान की खाद्य आपूर्ति विभाग की अधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते है। हमने आपकी सुविधाओ को देखते हुए इस लेख में इसके आवेदन प्रकिया के बारे में विस्तार से समझाया है जिसकी सहायता से आप इसके लिए आवेदन कर सकते है।
राजस्थान सरकार द्वारा राशन कार्ड के हेतु ऑनलाइन पोर्टल की व्यवस्था उपलब्ध है जिसकी सहायता से आप राजस्थान राशन कार्ड का आवेदन फॉर्म डाउनलोड करके इसके लिए आवेदन कर सकते सकते है आप राजस्थान ई-मित्रा की अधिकारिक वेबसाइट से भी राजस्थान राशन कार्ड व अन्य प्रमाण पत्रों के लिए आवेदन कर सकते है राशन कार्ड की कई महत्वपूर्ण कार्यो में जरुरत पड़ती है जैसे कि –
योजना के बारे में
राजस्थान सरकार ने गांव-गांव तक लोगों को ब्रांडेड उत्पाद उपलब्ध करवाने के लिए 31, अक्टूबर 2015 को जयपुर ज़िले में भम्भौरी गांव से अन्नपूर्णा भंडार योजना की शुरूआत की। योजना के पहले चरण में 5000 राशन की दुकानों को अन्नपूर्णा भंडार के रूप में विकसित किया गया है।
गावों में अब उपलब्ध हैं ब्रांडेड उत्पाद
शहरों में मिलने वाले ब्रांडेड उत्पाद अन्नपूर्णा भंडार के माध्यम से अब गावों में भी उपलब्ध हैं। 45 तरह के लगभग 150 से अधिक गुणवत्तायुक्त मल्टीब्रांड उत्पाद इन अन्नपूर्णा भंडारों पर उचित कीमत पर मिलते हैं।
रूरल मॉल का सपना हुआ साकार
गांवों में भी ब्रांडेड उत्पाद उपलब्ध होने से उपभोक्ताओं को ज़रूरत का हर घरेलू सामान घर के नज़दीक ही उपलब्ध है। इन अन्नपूर्णा भंडारों से रूरल मॉल का सपना साकार हुआ है।
डीलर के लिए अतिरिक्त आय का जरिया
पहले राशन डीलर केवल चीनी, गेहूँ व कैरोसीन ही बेच रहे थे जिससे उनकी आय कम होती थी। इन्हें आजीविका के लिए अन्य स्त्रोतों पर निर्भर रहना पड़ता था। अब डीलर ज़्यादा चीजें बेचते हैं, ज़्यादा दिन तक दुकान खोलते हैं। इससे उन्हें गांव में ही रोज़गार का साधन उपलब्ध हो गया, उनकी आय भी बढ़ गई और सामाजिक रुतबा भी बढ़ गया।
राजस्थान सम्पर्क जन सामान्य की शिकायतों को दर्ज करने और समस्याओं का निराकरण पाने का अभिनव प्रयास है |
इस पर आप पायेंगे: -
1.बिना कार्यालय में उपस्थित हुए समस्याओं को ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा
2. पंचायत समिति एवं जिला स्तर पर राजस्थान सम्पर्क केन्द्रों पर निः शुल्क रूप से शिकायतों को दर्ज कराने की सुविधा |
3. सिटीजन कॉल सेंटर (181) पर फ़ोन के माध्यम से शिकायतों को दर्ज कराने व् उसकी सूचना प्राप्त करने की निः शुल्क सुविधा |
4. स्मार्टफोन धारकों के लिए नेटिव एप्लीकेशन डाउनलोड करने की सुविधा |
5. दर्ज प्रकरणों में समुचित समाधान न होने पर प्रत्येक माह के निर्धारित गुरुवार को सम्बंधित विभाग के साथ व्यक्तिगत सुनवाई की सुविधा |
(A) पंचायत समिति स्तरीय राजस्थान सम्पर्क केंद्र पर माह के प्रथम गुरुवार को (उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में)
(B) पंचायत समिति स्तरीय सुनवाई से संतुष्ट न होने पर जिला स्तरीय राजस्थान सम्पर्क केंद्र पर माह के द्वितीय गुरुवार को (जिला कलक्टर की अध्यक्षता में)
(c) जिला स्तरीय सुनवाई से संतुष्ट न होने पर चयनित प्रकरणों में राज्य स्तर पर सुनवाई |
प्रधानमंत्री जल्द ही देश के गरीब मुस्लिम लड़कियों के लिए एक नई योजना का शुभारंभ करने जा रही है। इस योजना का नाम शादी शगुन योजना रखा गया है। इस योजना के अंतर्गत मुस्लिम परिवार की लड़कियां जिन्होंने अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी कर चुकी हैं। और वह शादी करना चाहती हैं तो शादी अनुदान में उपहार स्वरूप मोदी सरकार उन्हें 51000 की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
सरकार द्वारा चलाए जाने वाली शादी शगुन योजना का मुख्य उद्देश्य अल्पसंख्यक और मुस्लिम लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के अंतर्गत पूरे देश में सभी मुस्लिम वर्ग की लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। शादी शगुन योजना का लाभ केवल उन्हीं लड़कियों को प्रदान किया जाएगा जो स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी कर चुकी होगी।
देश में अभी बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर पढ़ाई को विशेष महत्व नहीं दिया जाता है। खासतौर पर मुस्लिम वर्ग की लड़कियों को। शादी शगुन योजना का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम समाज की लड़कियों को उच्च स्तर की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस योजना के प्रभाव स्वरूप अल्पसंख्यक वर्ग की लड़कियों की पढ़ाई स्तर में वृद्धि होगी। साथ ही मुस्लिम वर्ग के माता पिता को भी शादी के समय आर्थिक सहायता प्राप्त होगी।
इसके साथ ही केंद्र सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि कक्षा 9 10 वीं कक्षा में पढ़ाई पूरी करने वाली मुस्लिम लड़कियों को पुरस्कार के तौर पर ₹10000 की धनराशि प्रदान की जाएगी। इससे पहले केवल ऐसी मुस्लिम वर्ग की लड़कियां जिन्होंने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई पूरी कर चुकी थी। उन्ही को 10000 रुपये की धनराशि प्रदान की जाती थी।
शादी शगुन योजना के लिए योग्यताएं -
नोट- शादी शगुन योजना का लाभ उन मुस्लिम लड़कियों को प्रदान किया जाएगा। जिन्होंने स्कूली स्तर पर मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन से छात्रवृत्ति प्राप्त की हो। और जिन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी कर ली हो।
शादी शगुन योजना इनको भी मिलेगा लाभ -
इस योजना के अंतर्गत मुस्लिम के अतिरिक्त सिख इसाई पारसी और जैन धर्म से संबंधित व्यक्ति भी लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन सभी वर्गों के की लड़कियों को उपहार स्वरूप 51 हजार रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त अब कक्षा 10 पास करने वाले अल्पसंख्यक लड़कियों को 10000 की धनराशि उपहार स्वरुप प्रदान की जाएगी।
शादी शगुन योजनाके लिए आवेदन कैसे करें –
यदि आप ऊपर बताई गई सभी सदस्यों को पूरा करते हैं और Shadi Shagun Yojana के लिए आवेदन करना चाहते हैं। तो आप मुझे बताये गए आसान से स्टेप्स को फॉलो करके शादी शगुन योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।
राजस्थान सरकार ने पशुपालन के लिए राजस्थान पशुपालन और प्रशिक्षण संस्थान के समन्वय के साथ राज्य में भामाशाहपशुबीमायोजना शुरू की है। इस योजना के अंतर्गत,राज्य सरकार मवेशियों के लिये सब्सिडी वाले प्रीमियम दर पर बीमा प्राप्त करके पशुभोजकों को आर्थिक रूप से सब्सिडी प्रदान करेगी।
इस योजना के अंतर्गत, राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड राज्य के सभी जिलों में यूनाइटेड इण्डिया इन्सोरेन्स कंपनी, जयपुर के माध्यम से संचालित किया जाएगा। इस भामाशाह पशु बीमा योजना के अंतर्गत, कार्ड धारक का बीमा पशुपालन प्रीमियम की सब्सिडी वाली दर पर किया जाएगा। इस योजना के तहत गाय, भैंस, ऊंट, घोड़ा, गधों, बैल,गाय,बकरी,भेड़,सुअर का बीमा किया जाएगा। पशु बीमा एक वर्ष या तीन वर्षों के लिए किया जा सकता है।
राजस्थान भामाशाह पशु बीमा योजना प्राइमियम दरें
इस बीमा योजना के अंतर्गत, अनुसूचित / बीपीएल श्रेणी के पशु पालक को निर्धारित प्रीमियम राशि का 30 प्रतिशत और सामान्य श्रेणी के मवेशी व्यापारियों को 50 प्रतिशत जमा करना होगा। 50 हजार रूपये भैंस का प्रीमियम है जिसका कुल प्रीमियम 1604 रुपये होगा। जिसमें अनुसूचित जाति और बीपीएल किसानों को 628 रुपये का प्रीमियम और 977 रुपये सामान्य पशु मालिकों को भुगतान करना होगा। शेष प्रीमियम का 70 प्रतिशत सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत, 50 हजार रूपए तक भैंस का बीमा किया जाएगा। आवेदक को बीमारी या दुर्घटना में मृत पशुओं की मृत्यु पर सौ प्रतिशत बीमा लाभ प्रदान किया जाएगा।
जनता जल योजना जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग की वे पेयजल योजनाएं हैं जिनको जन स्वास्थ्य अभियान्त्रिकी विभाग द्वारा तैयार करने के उपरान्त, संचालन हेतु ग्राम- पंचायतों को सुुपुर्द की जाती रही हैं। वित्त विभाग की अ.शा.टीप दिनांक 1.11.10 के क्रम में इन योजनाआंे के संचालन हेतु देय अनुदान-1 अप्रैल, 2011 से सीधे ही पंचायती राज विभाग के बजट मद 2515 में दिया जा रहा है।
बीकानेर एवं जैसलमेर ज़िलों को छोड़कर, शेष 31 ज़िलों की 222 पंचायत समितियों मंे 6523 जनता जल योजनाएं संचालित हैं, जिनमें 7301 अंशकालीन पम्प चालक कार्यरत हैं। इन योजनाओं का संचालन ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है।
इन योजनाओं के संचालन व संधारण हेतु वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा निम्न अनुदान दिया जा रहा है:
अटल पेंशन योजना (एपीवाई), भारत के नागरिकों के लिए असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों पर केंद्रित एक पेंशन योजना है। एपीवाई के तहत, 60 साल की उम्र में 1,000/- या 2,000/- या 3000/- या 4000 या 5000/- प्रति माह रुपये की न्यूनतम पेंशन की गारंटी ग्राहकों द्वारा योगदान के आधार पर दिया जाएगा। भारत का कोई भी नागरिक एपीवाई योजना शामिल हो सकता हैं। इसके निम्नलिखित पात्रता मानदंड हैं:
भावी आवेदक एपीवाई अकाउंट में समय-समय पर अपडेट की प्राप्ति की सुविधा के लिए पंजीकरण के दौरान बैंक को आधार और मोबाइल नंबर उपलब्ध करा सकता है। हालांकि, आधार कार्ड नामांकन के लिए अनिवार्य नहीं है।
पेंशन की आवश्यकता
एक पेंशन लोगों को एक मासिक आय प्रदान करता है जब वे कमाई नही कर रहे होते हैं।
भारत सरकार का सह योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 के लिए यानी 5 साल के लिए उन ग्राहकों को उपलब्ध है जो 1 जून, 2015 से 31 मार्च, 2016 की इस अवधि के दौरान इस योजना में शामिल होते हैं और जो किसी भी वैधानिक और सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल नहीं हैं एवं आयकर दाताओं में शामिल नहीं हैं। सरकार का सह-योगदान पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा पात्र स्थायी सेवानिवृत्ति खाता पेंशन संख्या को केंद्रीय रिकार्ड एजेंसी से ग्राहक द्वारा वर्ष के लिए सभी किस्तों का भुगतान की पुष्टि प्राप्त करने के बाद वित्तीय वर्ष के अंत में लिए ग्राहक के बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये का एक अधिकतम अंशदान जमा किया जाएगा। वैसे लाभार्थी जो वैधानिक सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं, एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। उदाहरण के लिए, निम्नलिखित अधिनियमों के तहत सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के सदस्य एपीवाई के तहत सरकार के सह-योगदान प्राप्त करने के लिए पात्र नहीं हो सकते है:
अटल पेंशन योजना के तहत न्यूनतम पेंशन की इस अर्थ में सरकार द्वारा की गारंटी होगी कि यदि पेंशन योगदान पर वास्तविक रिटर्न अंशदान की अवधि के दौरान कम हुआ तो इस तरह की कमी को सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा। दूसरी ओर, यदि पेंशन योगदान पर वास्तविक रिटर्न न्यूनतम गारंटी पेंशन के लिए योगदान की अवधि में रिटर्न की तुलना में अधिक हैं तो इस तरह के अतिरिक्त लाभ ग्राहक के खाते में जमा किया जायेगा जिससे ग्राहकों को बढ़ा हुआ योजना लाभ मिलेगा।
सरकार कुल योगदान का 50% या 1000 रुपये प्रति साल जो भी कम हो का सह-योगदान प्रत्येक पात्र ग्राहक को करेगी जो इस योजना में 1 जून 2015 से 31 मार्च 2016 के बीच शामिल होते हैं और जो किसी भी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना के एक लाभार्थी नहीं है एवं आयकर दाता नहीं है। सरकार के सह-योगदान वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2019-20 तक 5 साल के लिए दिया जाएगा।
वर्तमान में, नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) के तहत ग्राहक योगदान एवं उसपर निवेश रिटर्न के लिए के लिए कर लाभ पाने के पात्र है। इसके अलावा, एनपीएस से बाहर निकलने पर वार्षिकी की खरीद मूल्य पर भी कर नहीं लगाया जाता है और केवल ग्राहकों की पेंशन आय सामान्य आय का हिस्सा मानी जाती है उसपर ग्राहक के लिए लागू उचित सीमांत दर लगाया जाता है। इसी तरह के कर उपचार एपीवाई के ग्राहकों के लिए लागू है।
योगदान की विधि, कैसे योगदान करें और योगदान की नियत तारीख
योगदान मासिक/तिमाही/छमाही अंतराल पर बचत बैंक खाता/ग्राहक के डाकघर बचत बैंक खाते से ऑटो डेबिट सुविधा के माध्यम से किया जा सकता है। मासिक/तिमाही/छमाही योगदान वांछित मासिक पेंशन और प्रवेश के समय ग्राहक की उम्र पर निर्भर करता है। एपीवाई के लिए योगदान , माह के किसी भी विशेष तारीख को बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते के माध्यम से भुगतान किया जा सकता है, मासिक योगदान की दशा में पहले महीने के किसी भी दिन या तिमाही योगदान की दशा में तिमाही के पहले महीने के किसी भी दिन या अर्ध-वार्षिक योगदान के मामले में छमाही के पहले महीने के किसी भी दिन।
निरंतर चूक के मामले में
ग्राहकों को अपने बचत बैंक खातों/डाकघर बचत बैंक खाते में निर्धारित नियत दिनांक देरी योगदान के लिए किसी भी अतिदेय ब्याज से बचने के लिए पर्याप्त राशि रखनी चाहिए। मासिक/तिमाही/छमाही योगदान बचत बैंक खाता/डाकघर बचत बैंक खाते में महीने/तिमाही/छमाही की पहली तारीख को जमा किया जा सकता है। हालांकि, अगर ग्राहक के बचत बैंक खाते/डाकघर बचत बैंक खाते में पहले महीने के अंतिम दिन/पहले तिमाही के अंतिम दिन/ पहले छमाही के अंतिम अपर्याप्त शेष है तो इसे एक डिफ़ॉल्ट माना जायेगा और देरी से योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के साथ अगले महीने में भुगतान करना होगा। बैंकों को प्रत्येक देरी मासिक योगदान के लिए प्रत्येक 100 रुपये में देरी के 1 रुपये प्रति माह शुल्क लेना है। योगदान की तिमाही/छमाही मोड के लिए देरी योगदान के लिए अतिदेय ब्याज के हिसाब से वसूल किया जाएगा। एकत्र बकाया ब्याज की राशि ग्राहक के पेंशन कोष के हिस्से के रूप में रहेगा। एक से अधिक मासिक/तिमाही/छमाही योगदान धन की उपलब्धता के आधार पर लिया जा सकता है। सभी मामलों में, योगदान यदि कोई हो अतिदेय राशि के साथ-साथ जमा किया जा सकता है। यह बैंक की आंतरिक प्रक्रिया होगी। देय राशि की वसूली खाते में उपलब्ध धन के अनुसार की जाएगी।
रखरखाव शुल्क और अन्य संबंधित शुल्कों के लिए ग्राहकों के खाते से कटौती एक आवधिक आधार पर किया जाएगा। उन ग्राहकों के लिए जिन्होंनें सरकार के सह-योगदान का लाभ उठाया है के लिए, खाते की राशि शून्य माना जाएगा जब ग्राहक कोष एवं सरकार के सह-योगदान खाते से घटाने पर राशि रखरखाव शुल्क, फीस और अतिदेय ब्याज के बराबर हो जाये और इसलिए शुद्ध कोष शून्य हो जाता है । इस मामले में सरकार का सह अंशदान सरकार को वापस दिया जाएगा।
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दीनदयाल अंत्योदय योजना का उद्देश्य योजना का उद्देश्य कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि कर शहरी और ग्रामीण गरीबी को कम करना है। मेक इन इंडिया, कार्यक्रम के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सामाजिक तथा आर्थिक बेहतरी के लिए कौशल विकास आवश्यक है। दीनदयाल अंत्योदय योजना को आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय (एच.यू.पी.ए.) के तहत शुरू किया गया था। भारत सरकार ने इस योजना के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
यह योजना राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम.) का एकीकरण है।
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (एन.यू.एल.एम.) को दीन दयाल अंत्योदय योजना - (डी.ए.वाई.-एन.यू.एल.एम.) और हिन्दी में राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नाम दिया गया है। इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के लिए दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना के अंतर्गत सभी 4041 शहरों और कस्बों को कवर कर पूरे शहरी आबादी को लगभग कवर किया जाएगा। वर्तमान में, सभी शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में केवल 790 कस्बों और शहरों को कवर किया गया है।
इस योजना का लक्ष्य शहरी गरीब परिवारों कि गरीबी और जोखिम को कम करने के लिए उन्हें लाभकारी स्वरोजगार और कुशल मजदूरी रोजगार के अवसर का उपयोग करने में सक्षम करना, जिसके परिणामस्वरूप मजबूत जमीनी स्तर के निर्माण से उनकी आजीविका में स्थायी आधार पर सराहनीय सुधार हो सके। इस योजना का लक्ष्य चरणबद्ध तरीके से शहरी बेघरों हेतु आवश्यक सेवाओं से लैस आश्रय प्रदान करना भी होगा। योजना शहरी सड़क विक्रेताओं की आजीविका संबंधी समस्याओं को देखते हुए उनकी उभरते बाजार के अवसरों तक पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त जगह, संस्थागत ऋण, और सामाजिक सुरक्षा और कौशल के साथ इसे सुविधाजनक बनाने से भी संबंधित है।
डीएवाई-एनयूएलएम के घटक
इस योजना में दो घटक हैं, एक ग्रामीण भारत के लिए तथा दूसरी शहरी भारत के लिए
योजना का मुख्य विशेषताएँ
मार्गदर्शक सिद्धांत
मंत्रालय ने वास्तविक समय में और नियमित रूप से योजना की प्रगति की निगरानी के उद्देश्य से ऑनलाइन वेब आधारित प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) विकसित की थी। एमआईएस को 20 जनवरी 2015 को शुरू किया गया था। एमआईएस प्रशिक्षण प्रदाताओं, प्रमाणन एजेंसियों, बैंकों और संसाधन संगठनों जैसे हितधारकों को भी सीधे आवश्यक जानकारी प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है, जिसे निगरानी और अन्य उद्देश्यों और योजना की प्रगति को ट्रैक करने के लिए शहरी स्थानीय निकायों, राज्यों और एच.यू.पी.ए. मंत्रालय द्वारा भी संचालित किया जा सकता है।
इसके अलावा, डीएवाई-एनयूएलएम योजना के क्रियान्वयन की प्रभावी निगरानी हेतु निदेशालय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ नियमित रूप से समीक्षा बैठकों और वीडियो सम्मेलनों का आयोजन करेगा।
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